गजल
मे एक खयाल हुँ खयालोके भिडमे।
आजतक जिन्द हुँ सवालोके भिडमे।
अलग जो हे मेरा जिनेका अन्दाज,
तमासा होगया दुनियाँवालोके भिडमे।
मरिज्-ए-मुहब्बत होगया दिल अपना तो,
नाम आएगा मेरा दिलवालोके भिडमे।
सुन्ना पडेगा एकदिन सारे जहाँको,
नयाँ हे सेर मेरा गजलोके भिडमे।
मे एक खयाल हुन खयालोके भिड्मे।
जिन्दा हुँ आज भि सवालोके भिडमे।
बिक्रित ज्योतिपुन्ज
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